भोपाल। अत्यधिक वर्षा के कारण फसलें मुरझाने लगी है। वहीं किसान काफी परेशान है कि फसलों को बचानेके लिए क्या प्रयास किए जाएं।
वहीं अत्यधिक वर्षा से खाद व्यापारियों की बांछे खील गई है। क्योंकि वे जानते है कि फसलों को खाद की आवश्यकता लगेगी और किसान यूरिया के लिए उनके पास आयेगा। जह एक ओर यूरिया का बाजार मूल्य 287 रु. प्रति बैग है, वहीं मनावर के यूरिया व्यापारी प्रति बैग 340 रु में बे रोक-टोक बेच रहे है ।
ऐसा नहीं कि कृषि विभाग को इसकी जानकारी नहीं है कृषि विभाग के निरीक्षक इनकी दुकानों के आस पास ही नजर आते है । इसके बावजूद बेखौफ होकर व्यापारी प्रति बोरी 50 से 53 रु. मुनाफे पर प्रति बैग बेच रहे हैं। जिसके कारण क्षेत्रके आदिवासी किसानों को इन व्यापारियों के हाथों लुटा जा रहा है। अगर कोई किसान बिल मांग ले तो उसकी गाड़ी से यूरिया वापस अपने हम्मालों से खाली करवा ली जाती है तथा यही कहते हैं कि बिल चाहिए की यूरिया अगर वह कहीं शिकायत करता है तो उसकी शिकायत पर कोई भी अमल नहीं होता है। क्योंकि यह व्यापारी वर्ष भर कृषि अधिकारियों को लेन-देन कर अपना व्यापार व्यवसाय करते हैं। इस कारण किसानों की शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं होती।
व्यापारी इतने दबंग होते हैं कि सोसायटी मेें आने वालेयूरिया खाद को भी अपने राजनीतिक आकाओं के प्रभाव से इन सोसायटियों में यूरिया खाद पहुंचने नहीं देते या फिर अपने प्रभाव का उपयोग कर सोसायटी के प्रबंधकों पर दबाव डालकर किसानों के नाम का खाद उठा लेते है , और अपने गोदाम भर लेते हैं। वहीं बड़ी खाद कम्पनी के डिलर अपना माल रेंक पाइंट से ही खाद रफा-दफा कर देते है या फिर कम्पनी से मिलकर इन्दौर के बड़े डिलरों से मिलकर खाद की बोरियां वहीं दे देते हैं। क्योंकि अगर रेंक पाइंट से माल (खाद) अन्य को भेजती है तो भाड़ा पेड करना नहीं होता और डिलर को देना होती है तो उसे भाड़ा देना होता हैै। इसलिए मनावर आने वाली खाद को अन्य जगह बेच देते हैं भाड़ा मनावर का बनाकर वो राशि नकद प्राप्त कर लेते है।
इस गोरख धंधे में खाद कम्पनी अधिकारी और डिलर अच्छा मुनाफा कमाते हैं। मनावर कृषि विभाग के अमले को कोई जानकारी भी नहीं है। किस-किस कम्पनी का कितना-कितना यूरिया किस कम्पनी का आया है और कौन - कौन डिलर कितना यूरिया ट्रेडिंग कर रहा है। डिलर अपना रिटेल काउन्टर कम चलाते हैं तथा अपने सब डिलर के माध्यम से खुले आम महंगे दामों पर बिकवाते है इतना ही नहीं कुछ घटिया कम्पनियों का सुपर फास्फेट क्षेत्र में बेचा जा रहा है जिस किसान ने इसका उपयोग किया है। उसको आज तक इसका सही रिजल्ट नहीं मिला ऐसे घटिया खाद की मानकता को भी परखने की जवाब देही कृषि विभाग ने भी नहीं निभाई सनद रहे कि आज भी यूरिया व्यापारियों के गोदामों में हजारों बैग यूरिया भरा हुआ है। परन्तु व्यापारी को उनके रेट अनुसार अगर दाम नहीं मिलता है तो वे किसानों को खाद नहीं देते हैं।
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