राधेश्याम सोलंकी,भरत ठाकुर, जयंत जोशी,अशोक पाटीदार,हेमंत चतुर्वेदी,मनीष जैन कर रहे हैं एसटीएफ को गुमराह
भोपाल। ईवमिरेकल ज्वेलर्स कंपनी में कार्यरत करोड़पति लीडरों पर मध्यप्रदेश पुलिस मेहरबान है नहीं तो क्या कारण कि अब तक एक भी लीडर जेल की सलाखों के पीछे नहीं जा पाया। पुलिस के लिए जांच के बिंदू कई हैं लेकिन गरीब भोलेभाले आमजनों से कोई खास सरोकार ना रखने वाली पुलिस गांव-गांव जाकर यह जानकारी जुटाने की जरुरत नहीं कर सकती है क्योंकि उसके पास में अतिरिक्त स्टाफ नहीं है। कुछ माह पहले पुलिस महकमे में इस प्रकार की कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अलग से स्टाफ की पूरजोर मांग उठी थी लेकिन अब भी पुलिस अधिकारियों की कमी ऐसे मामलों में बनी हुई है।
इधर ईवमिरेकल ज्वेलर्स के खासमखास कथित करोड़पति लीडर भरतसिंह पिता रतनसिंह निवासी ग्राम लसुडिय़ा तहसील आष्टा जिला सिहोर, जयंत पिता लीलाधर जोशी, ग्राम कन्नौद रोड, आष्टा, जिला सिहोर, अशोक पाटीदार, निवासी 42 लक्ष्मीनगर उज्जैन रोड, देवास, हेमंत चतुर्वेदी,प्रबंधक देवास, बालकृष्ण चौबे लेखापाल सहित अन्य 22 लोगों को पुलिस अभी तक पुलिस पूछताछ की चपेट में भी नहीं ले पाई है। आईएनआई ने पहले भी खबरों में बताया कि कंपनी एक अति महत्वपूर्ण मीटिंग जो कि जयपुर की ओम प्लाजा होटल में आहुत की गई थी जिसके बाद इन बदमाश धोखेबाज लीडरों ने अपने-अपने क्षेत्रों से लाखों रुपया बटोरा जो कि प्रधान कार्यालय तक पहुंच ही नहीं पाया क्योंकि मीटिंग के 10 दिन बाद ही कंपनी के डायरेक्टर शिवराज शर्मा को पुलिस श्याम नगर थाना ने धरदबोचा था। इधर हाटपिपल्या में करीब दो करोड़ रुपए से अधिक का बिजनेस करने वाले लीडरों में से एक लीडर राधेश्याम सोलंकी भी अपनी मस्ती में मस्त है। जबकि उनके द्वारा बनाए गए ग्राहक आज भी अपने रुपयों के पाने का इंतजार कर रहे हैं। लगभग 12 करोड़ 46 लाक 384 रुपए पुरस्कार के रूप में पाने वाले इन लीडरों ने निवेशकों के साथ में धोखा किया है। लेकिन पुलिस की निगाह में इन निवेशकों को अभी तक लाया नहीं गया है जबकि मध्यप्रदेश से 141 करोड़ रुपये बंटोरने में इन लीडरों की भूमिका सक्रिय रही।
3 करोड़ 95 लाख 89 हजार 744 रुपए की सीजींग के बाद इन लीडरों को कार्यालय सहायक पुलिस आयुक्त सोडाला (दक्षिण) जयपुर ने धारा 51,160 सीआरपीसी के तहत नोटिस भी भेजा था। अभियोग संख्या 356/11 धारा 420-406-120-बी आईपीसी एवं 3-4-5-6 इनामी चिट और धन परिचालन स्कीम (पाबंधी) अधिनियम 1978 के तहत इन्हें उपस्थित होने का कहा गया था तब ये सवाल निवेशकों में उठ रहा है कि मध्यप्रदेश पुलिस अब तक इन लीडरों को जांच के ठोस दायरे में क्यों नहीं ला पा रही है। निवेशकों के अनुसार आखिरी समय में इन लीडरों ने चौंकाने वाले लालच देकर पैसा इकट्ठा किया। पुलिस इनसे पूछ सकती है कि इन्होंने मार्च 2011 से लेकर 28 नवंबर 2011 तक किस आईडी से कितने रुपए लिए और कितने जयपुर में जमा करवाए।
उस दौरान कंपनी द्वारा उन्हें कितना रुपया प्राप्त हुआ इस समय में कुल कितने रूपये किन-किन क्षेत्रों से इकट्ठे किए गए और किन-किन लोगों को सदस्य बनाया गया। एवं किन लोगों कंपनी द्वारा अधिकृत आईडी दी गई। इसी वर्ष में इन लीडरों के बैंक स्टेटमेन्ट की क्या पोजिशन थी। ऐसे कई सवाल हैं जिन पर अनुसंधान करने पर चौंकाने वाले मामले सामने आ सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक कंपनी के जयपुर प्रधानकार्यालय द्वारा 10 रुपया का घोषणापत्र भरवाया जाता था जिसमें निवेशक की स्वेच्छा व निवेशक का व्यवहार नहीं करने का कहा जाता था। साथ ही कंपनी द्वारा 1 से 11 क्लोजिंग 100 प्रतिशत, 12 वीं क्लोजिंग 51 प्रतिशत तथा 13-14-15-16 वीं 10 प्रतिशत होने का विदित बताया जाता था। लेकिन लीडरों ने अपनी ही ढपली अपना ही राग बजाया और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की। पुलिस को इस मामले में तुरंत जांच कर निवेशकों के हितों को तय करना चाहिए।
लडख़ड़ाती अर्थव्यवस्था के बाद बनी थी नई जुगाड़...जयपुर का ओम प्लाजा होटल जहां पर चर्चा के बाद मध्यप्रदेश के लीडरों ने अपने-अपने स्तर पर रुपया उगाया। छाया:नेमीजी
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