मुंबई। आठ वर्षों से रोजी रोटी के संकट से झुझ रही बार बालाओं के 'डांस बारÓ को लेकर उच्चन्यायालय के फैसले ने बार बालाओं की चमक लौटा दी है। धमाकेदार म्यूजिक, चकाचौंध भरी रोशनी और फिजा में घुलती मदहोशी में 'ठुमकाÓ लगाती बार बालाओं के नाच पर राज्य सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था। वर्ष 2005 में महाराष्ट्र सरकार ने दलील दी थी कि डांस बारों में चल रही अश्लीललता और बार की आड़ में गैर कानूनी धंधों में इजाफा हो रहा है। इस दलील के साथ पुलिस एक्ट में परिवर्तन कर होटल एवं रेस्तरां मालिकों को दायरें में ले लिया जिससे 70 हजार से अधिक बार बालाओं ने ले लिया जिससे 70 हजार से अधिक बार बालाओं के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया था।
मुंबई के बियर बारों में कभी आर्केस्ट्र का भी चलन था लेकिन अब यह समाप्त हो गया है। आज के जमाने के प्रख्यात पाश्र्वगायक कुमार शानू पहले बीयर बार में गाया करते थे। अब एक बार फिर मुंबई के बारों में बालाएं डांस कर शौकिनों का मनोरंजन करने का काम करेगी। मुंबई में बीयर बारों को रात डेढ़ बजे तक चलाए जाने की इजाजत है, कुछ बियरबार तो पुलिस प्रशासन के इस नियम का पालन करते हैं, लेकिन ज्यादातर नियम कानून को धता बताकर सुबह पांच बचे तक चलते हैं देर रात तक चलने वाले बीयरबारों में पुलिस यदा-कदा छापे मारती है बीयर बारों में छापे मारने के बाद पुलिस बार के मैनेजर, बार बालाओं और ग्राहकों को गिरफ्तर करती है रातभर थाने में रहने के बाद उन्हें सुबह निजी मुचलके पर छोड़ दिया जाता है।
नियम विरुद्ध चलने वाले बीयरबारों में छापा मारने का काम स्थानीय पुलिस के अलावा विशेष पुलिस दस्ता करता है। ज्यादातर बीयर बार मालिकों को इस बात की खबर मिल जाती है कि पुलिस बल की फलां जगह छापे मारने की तैयारी है तब बार एहतियातन बंद कर दिए जाते हैं। आगरा बनारस से जब तवायफों का बाजार उजड़ा तो वहां कि लड़कियों ने मुंबई की ओर रुख किया वे यहां बारों में नृत्य करने लगी। मुंबई के बीयरबारों में काम करके कुछ बार बालाएं लाखों रुपया कमाकर आज बार की मालकिन बनी हुई है मुंबई सीएसटी पर 24 घंटे चलने वाले एक बड़े बीयरबार की मालकिन एक पूर्व बाला ही है। जो बार बाला नृत्य में जितनी पारंगत होती है उस पर नोटों की बरसात उतनी ही ज्यादा होती है।
पराई प्यास के प्याले
बार बालाओं में जीवन को शान-ओ-शौकत से जीने की चाह है उनकी खुली आंखों में सपने है और रात बीयर बारों के हवाले हैं 'लार्जर दैन लाइफÓ के करुण यथार्थ को जीते मुंबई महानगर में एक रिपोर्ट के अनुसार 11629 रेस्तरां हैं जिनमें से सात सौ छोटे-बड़े बार हैं। इसमें काम करने वाली 45प्रतिशत लड़किया अव्यस्क होती हैं। डांस बारों के ज्यादातर मालिक कर्नाटक के शेट्टी लोग हैं लेकिन उत्तर भारतीय मालिक बी यदा कदा देखने को मिल जाते हैं बारों में काम करने वाली अधिकतर वेेट्रेस बंग्लादेशी होती है। बीयरबारों में सुंदर शक्ल सुरत और सुगठित देयष्टि के अनुसार वेट्रेस की पगार 5-7 हजार रुपए मासिक है। तो डांसर की कमाई का प्रतिशत अलग-अलग बारों में 'सिक्सटी-फोर्टीÓ या 'सेवंटी-थर्टीÓ होता है यानी अगर कोई डांसर एक समूची रात में दस हजार रुपया कमाती है तो इसके मालिक को तीन से चार हजार रुपया मिल जाता है। डांसर को पगार नहीं मिलती। यह लेन-देन एकदम ईमानदार और पाक साफ होता है। जब किसी लड़की का कलेक्शन गिरने लगता है तो उसके एजेन्ट तत्काल सक्रिय हो जाते हैं और उक्त लड़की किसी ऐसे उपनगर के बार में फिट करने का प्रयास करते हैं जहां उसका बिलकुल 'एक्सपोजरÓ न हुआ हो। हालांकि बदलते परिवेश में खुलासा हुआ है उससे जाहिर होता है कि वेश्यावृत्ति की घटनाओं में बीयरबारों की संलिप्तता बढ़ती जा रही है। एक शोध के मुताबिक शहर के सभी वेश्यालय आपस में जुड़े हैं लड़कियों को बार से वेश्यालय, वेश्यालय से बार और गेस्ट हाउसों तक भेजा जाता है। बारा बालाों के उत्थान के लिए महाराष्ट्र बार एंड रेस्तरां लेडिज एंप्लाइज यूनियन 1980 से प्रयासरत है आज उनके संगठन में 40-45 हजार से ज्यादा लड़कियां सदस्य है बीयर बार में काम करने वाली लड़किया यूनियन को अपना गाड फादर मानती है। यूनियन के आनंद शेट्टी ने एक बार कहा था' होटल वालों से सरकार चौदह हजार करोड़ रुपया एक्साजि टैक्स के रूप में लेती है।
बहरहाल करोड़ों रुपया टैक्स लेने वाली सरकार को लड़कियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी लेना चाहिए। बार बालाएं होटलों के भीतर भले ही सुरक्षित हो लेकिन बाहर सुरक्षा के इंतजाम उनके ही दमखम पर होते हैं।
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