Monday, 11 February 2013 07:11
Written by KB News
अन्ना के इलाज पर उठे सवाल
पुणे के अस्पताल में कई दिनों तक इलाज कराने के बावजूद हालत न सुधरने पर अन्ना हजारे जब गुड़गांव के मेदांता अस्पताल पहुंचे, तो दो ही दिन में उनकी स्थिति बेहतर हो गयी. अन्ना के इलाज पर जब सवाल उठे, तो डॉ संचेती के डॉक्टर बेटे ने गुड़गांव पहुंच कर उनसे मुलाकात की.
इसके बाद अन्ना ने अपने हस्ताक्षर से बयान जारी कर कहा कि उनका ठीक इलाज चल रहा था.. आखिर क्यों अन्ना को जारी करना पड़ा इस तरह का बयान? पढ़ें यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..
क्या है अन्ना के पत्र में
मेरी सेहत को लेकर मीडिया में तरह-तरह की बातें की जा रही हैं. डॉ कांति लाल संचेती से मेरी २५ साल की दोस्ती है. ऐसा कहा जा रहा है कि जो दवा दी गयी, वो ज्यादा थी या उनकी जरूरत नहीं थी. मुझे ऐसा नहीं लगता कि मुझे दवाइयां गलत नीयत से दी गयी थी. शायद मेरा शरीर उन दवाइयों को बर्दाश्त नहीं कर पाया. मैं मानता हूं कि किसी की जिंदगी या सेहत भगवान के हाथ में होती है. डॉ संचेती को सरकार ने पद्मविभूषण दिया है. उनके इनाम को मेरी सेहत से जोड़ना गलत है. उनका इनाम उनकी ४० वर्षो की सेवाओं और समाज में उत्तम कार्यो के लिए दिया गया है. मैं उन्हें इसके लिए बधाई देता हूं.
क्या पुणे के संचेती अस्पताल में अन्ना हजारे को भविष्य में आंदोलन न कर पाने की स्थिति में लाने की तैयारी की जा रही थी? क्या राजनीतिक तौर पर संचेती अस्पताल को इस भरोसे में लिया गया कि अगर वह अन्ना हजारे को पांच राज्यों में चुनाव के दौरान मैदान में न उतरने देने की स्थिति ला सकता है, तो अस्पताल चलानेवालों का ख्याल रखा जायेगा ? क्या पुणे के एक व्यवसायी को भी राजनीतिक तौर पर इस भरोसे में लिया गया कि वह अन्ना से अपनी करीबी का लाभ कांग्रेस को पहंचाये, तो सरकार उसे भी इनाम देगी ? क्या अन्ना के सहयोगियों को भी सुविधाओं से इतना भर दिया गया कि वह भी अन्ना को उसी राजनीति के हाथ का खिलौना बना बैठें, जिस राजनीति के खिलाफ़ अन्ना संघर्ष कर रहे थे ? ये सारे सवाल अगर रालेगण सिद्धि से लेकर पुणे और मुबंई में अन्ना आंदोलन से जुड़े लोगों के बीच घुमड़ रहे हैं, तो दिल्ली से सटे गुड़गांव के मेदांता अस्पताल से इसके जवाब भी निकलने लगे हैं.
यह सब कैसे और क्यों हुआ? इसे जानने से पहले यह जरूरी है कि इस खेल की एवज में पहली बार क्या-क्या हुआ, उसकी जानकारी ले लें. पहली बार अन्ना रालेगण के अपने सहयोगी के बिना ही दिल्ली इलाज के लिए पहंचे. पहली बार संचेती अस्पताल के कर्ताधर्ता कांति लाल संचेती को सीधे पद्म विभूषण से नवाज दिया गया. पहली बार अन्ना के करीबी पुणे के व्यवसायी अभय फ़िदौरिया के भाई काइनेटिक के चैयरमैन अरुण फ़िरदौरिया को पद्मश्री से नवाजा जायेगा. ७४ बरस की उम्र के जीवन में पहली बार अन्ना ने यह महसूस किया कि संचेती अस्पताल में इलाज के दौरान उनसे खुद उठना बैठना नहीं हो पा रहा है. दरअसल पिछले दो दिनों से गुड़गांव के मेदांता में इलाज कराते अन्ना के शरीर से करीब तीन किलोग्राम पानी बाहर निकला है. और दो दिन के भीतर ही अन्ना अपना काम खुद कर सकने की स्थिति में आ गये हैं और आज ही ( मंगलवार) अन्ना को आइसीयू से सामान्य कमरे में शिफ्ट भी कर दिया गया. लेकिन इससे पहले पुणे के संचेती अस्पताल में नौ दिन (३१ दिसंबर २०११ से ८ जनवरी २०१२ ) भरती रहे अन्ना को बीते महीने भर से जो दवाई दी जा रही थी, वह इलाज से ज्यादा बीमार करने की दिशा में किस तरह बढ़ रही थी? यह अस्पताल की ही ब्लड और यूरिन रिपोर्ट से पता चलता है. संचेती अस्पताल में ६ जनवरी को अन्ना की ब्लड / यूरिन की रिपोर्ट ( ओपीडी / आइडी नं १२०१००३८२६ ) में सब कुछ सामान्य पाया गया. लेकिन हर दिन जिन आठ दवाइयों को खाने के लिए दिया गया, उनमें स्ट्रोआइड का ओवर डोज है.
एंटीबायोटिक की चार दवाइयां इतनी ज्यादा मात्रा में शरीर पर बुरा असर डाल सकती हैं कि किसी भी व्यक्ति को इसे खाने के बाद उठने में मुश्किल हो. असल में इलाज ऐसा क्यों किया जा रहा था, इसका जवाब तो किसी के पास नहीं है. लेकिन इस इलाज तो गुड़गांव के मेदांता में तुरंत बंद इसलिए कर दिया क्योंकि यह सारी दवाइयां अन्ना हजारे के शरीर में धीमे जहर का काम कर रही थीं. खास बात यह भी है कि संचेती अस्पताल की डिस्चार्ज रिपोर्ट में डॉ कांति लाल संचेती के बेटे डॉ पराग लाल संचेती के हस्ताक्षर के साथ यह लिखा गया कि एक महीने यानी ८ फ़रवरी तक अन्ना को सिर्फ़ आराम ही करना है. कोई काम नहीं करना है. खासकर अस्पताल छोड़ते वक्त ८ जनवरी को अन्ना हजारे को संचेती अस्पताल के डॉक्टर ने यह भी कहा कि लोगों से मिलना-जुलना बंद रखें. लेकिन अन्ना का इलाज बदला और अन्ना दो दिन में कैसे ठीक हो गये ?